अर्जुन की प्रतिज्ञा और जयद्रथ का वध किसने किया ?
अभिमन्यु की वीरगति और अभिमन्यु पर किए गए घृणित कृत्यों की खबर जब पिता अर्जुन को मिलता हैं तभी अर्जुन ने अगले दिन सूर्यास्त तक जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा लेते हैं ,और ऐसा न करने पर आत्मदाह करके तुरंत आत्महत्या कर लेंगे ।
कौरव सेना अगले दिन जयद्रथ को अर्जुन से दूर रखने का प्रयास करते है,अर्जुन कौरव सेना के उपर टूट पङते हैं और उस दिन लाखो से अधिक सैनिकों और योद्धाओं को मार डालते है, किन्तु अभी भी जयद्रथ उनसे बहुत दूर था वह उनके पास पहुंच ही नहीं पा रहे थे, क्योंकि कौरवो ने एक चक्र्व्यू के अंदर जयद्रथ को घेर रक्खा था अर्जुन बहुत निराश हो जाते है क्योंकि उन्हें पता चलता है कि शायद अब वह जयद्रथ का वध नहीं कर पाएंगे। सर्वशक्तिमान और उनके सारथि कृष्ण को जब यह आभाष होता हैं तो वो अपनी शक्तियों का उपयोग कर के कुछ समय के लिए सूर्य को को अस्त कर देते हैं।
कौरव और पांडव समान रूप से मान लेते हैं कि अब सूर्य अस्त हो चुका है और नियम के अनुसार युद्ध रुक जाता है दोनों पक्ष अर्जुन कोआत्मग्लानि करते हुए देखते हैं अर्जुन की मृत्यु को देखने की जल्दबाजी में, जयद्रथ भी अर्जुन के सामने आता है कृष्ण उस अवसर को देखते हैं और सूरज के उपर से अपनी शक्तिया हटा लेते हैं जिससे की सूर्य फिर से निकलता है इससे पहले कि कौरव कुछ कर पाते, कृष्ण ने अर्जुन से कहा अपना गांडिवा धनुष उठाओ और जयद्रथ का वध करके अपना प्रतिज्ञा पूरा करो उसी समय अर्जुन के अशांत बाण जयद्रथ का वध कर देते हैं, और सूर्यास्त के पहले जयद्रथ को मारने की उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो जाती है।
पुराणों के अनुसार जयद्रथ को अपने पिता से वरदान मिला था कि जो भी जयद्रथ का सिर पृथ्वी पर गिराएगा, उसकी भी तुरंत मृत्यु हो जाएगी इसलिए भगवान कृष्ण अर्जुन को पहले ही इस रहस्य के बारे में बता देते हैं। जयद्रथ का वध अर्जुन इस प्रकार करे की वह दोष अर्जुन के ऊपर न लगे तब देवकी नन्दन अर्जुन को इसारा करते हैं की जयद्रथ का सिर इस प्रकार उसके धड़ से अलग करे जिससे की उसका सिर सीधे उसके पिता की गोद में जा गिरे जो एक पेड़ के नीचे बैठा था उनके पिता पुत्र का सिर देख कर हैरान और उठ खड़े हुए, जिससे जयद्रथ का सिर पृथ्वी पर गिर जाता हैं जिससे की उसके पिता कि भी तुरंत मृत्यु हो जाती है।
अभिमन्यु जन्म , माता - पिता और विवाह
अभिमन्यु हिंदुओं की पौराणिक कथा महाभारत के एक बहादुर योध्या थे वे एक साहसी, तेजस्वी योद्धा और अपने पिता के समान महान धनुर्धारी थे। अभिमन्यु भगवान कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र थे। (एक कथा के अनुसार उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है धारणा है कि समस्त देवताओ ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा कि वे अपने पुत्र का वियोग सहन नही कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए।)
पौराणिक कथा महाभारत के कथा के अनुसार अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदने का रहस्य (तकनिकी) जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे चक्रव्यू से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे।
अभिमन्यु का बचपन अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता अभिमन्यु को शास्त्र की विद्या श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और महान योद्धा उनके पिता अर्जुन द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। अभिमन्यु का विवाह राजा विराट की बेटी उत्तरा से हुई थी विराट मत्स्य राज्य के राजा थे।अभिमन्यु और उत्तरा के एक पुत्र परीक्षित था जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने इस कुल को आगे बढ़ाया ।
कौरव सेना अगले दिन जयद्रथ को अर्जुन से दूर रखने का प्रयास करते है,अर्जुन कौरव सेना के उपर टूट पङते हैं और उस दिन लाखो से अधिक सैनिकों और योद्धाओं को मार डालते है, किन्तु अभी भी जयद्रथ उनसे बहुत दूर था वह उनके पास पहुंच ही नहीं पा रहे थे, क्योंकि कौरवो ने एक चक्र्व्यू के अंदर जयद्रथ को घेर रक्खा था अर्जुन बहुत निराश हो जाते है क्योंकि उन्हें पता चलता है कि शायद अब वह जयद्रथ का वध नहीं कर पाएंगे। सर्वशक्तिमान और उनके सारथि कृष्ण को जब यह आभाष होता हैं तो वो अपनी शक्तियों का उपयोग कर के कुछ समय के लिए सूर्य को को अस्त कर देते हैं।
कौरव और पांडव समान रूप से मान लेते हैं कि अब सूर्य अस्त हो चुका है और नियम के अनुसार युद्ध रुक जाता है दोनों पक्ष अर्जुन कोआत्मग्लानि करते हुए देखते हैं अर्जुन की मृत्यु को देखने की जल्दबाजी में, जयद्रथ भी अर्जुन के सामने आता है कृष्ण उस अवसर को देखते हैं और सूरज के उपर से अपनी शक्तिया हटा लेते हैं जिससे की सूर्य फिर से निकलता है इससे पहले कि कौरव कुछ कर पाते, कृष्ण ने अर्जुन से कहा अपना गांडिवा धनुष उठाओ और जयद्रथ का वध करके अपना प्रतिज्ञा पूरा करो उसी समय अर्जुन के अशांत बाण जयद्रथ का वध कर देते हैं, और सूर्यास्त के पहले जयद्रथ को मारने की उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो जाती है।
पुराणों के अनुसार जयद्रथ को अपने पिता से वरदान मिला था कि जो भी जयद्रथ का सिर पृथ्वी पर गिराएगा, उसकी भी तुरंत मृत्यु हो जाएगी इसलिए भगवान कृष्ण अर्जुन को पहले ही इस रहस्य के बारे में बता देते हैं। जयद्रथ का वध अर्जुन इस प्रकार करे की वह दोष अर्जुन के ऊपर न लगे तब देवकी नन्दन अर्जुन को इसारा करते हैं की जयद्रथ का सिर इस प्रकार उसके धड़ से अलग करे जिससे की उसका सिर सीधे उसके पिता की गोद में जा गिरे जो एक पेड़ के नीचे बैठा था उनके पिता पुत्र का सिर देख कर हैरान और उठ खड़े हुए, जिससे जयद्रथ का सिर पृथ्वी पर गिर जाता हैं जिससे की उसके पिता कि भी तुरंत मृत्यु हो जाती है।
महाभारत कथा - अभिमन्यु जन्म और वध - चक्रव्यूह तोड़ना
अभिमन्यु जन्म , माता - पिता और विवाह
अभिमन्यु हिंदुओं की पौराणिक कथा महाभारत के एक बहादुर योध्या थे वे एक साहसी, तेजस्वी योद्धा और अपने पिता के समान महान धनुर्धारी थे। अभिमन्यु भगवान कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र थे। (एक कथा के अनुसार उन्हें चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है धारणा है कि समस्त देवताओ ने अपने पुत्रों को अवतार रूप में धरती पर भेजा था परंतु चंद्रदेव ने कहा कि वे अपने पुत्र का वियोग सहन नही कर सकते अतः उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र सोलह वर्ष की आयु दी जाए।)
पौराणिक कथा महाभारत के कथा के अनुसार अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदने का रहस्य (तकनिकी) जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे चक्रव्यू से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे।
अभिमन्यु का बचपन अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता अभिमन्यु को शास्त्र की विद्या श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और महान योद्धा उनके पिता अर्जुन द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। अभिमन्यु का विवाह राजा विराट की बेटी उत्तरा से हुई थी विराट मत्स्य राज्य के राजा थे।अभिमन्यु और उत्तरा के एक पुत्र परीक्षित था जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने इस कुल को आगे बढ़ाया ।
अभिमन्यु का चक्रव्यू तोड़ना और उनका वध
महावीर अभिमन्यु ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था महाभारत युद्ध के 13 वें दिन, कौरव पांडवों को चक्रव्यूह के रूप में जाना जाता है। कौरवो ने अपने कुटिल चाल से अर्जुन को युद्ध क्षेत्र से बहुत दूर कर देते हैं और वे युधिस्ठिर को बंदी बनाने का प्रयास करते हैं। इस लिए कौरव ने एक चक्रव्यू की रचना की जिसे अर्जुन के सिवा कोई और योध्या तोड़ नहीं सकता था| जब महाराज युधिष्ठिर को इस बात का पता चला तो वह बहुत ही निराश हुए उनको निराश - दु:खी देखकर अभिमन्यु उनके पास गए और बोले महाराज आप चिंता न करे इस चक्रव्यू को मैं तोडूंगाImages Third Party |
अभिमन्यु का वध कैसे हुआ और किसने की ?
अगले दिन प्रात:काल युद्ध आरम्भ हुआ| चक्रव्यूह के मुख्य द्वार का रक्षक जयद्रथ था| पुराणों के अनुसार जयद्रथ ने अर्जुन के अतिरिक्त शेष पाण्डवों को हराने का भगवान् शंकर से वरदान प्राप्त किया था| अभिमन्यु ने अपनी बाण वर्षा और कुशल रणनीति सेचक्रव्यूह के अंदर प्रवेश कर गए किन्तु जयद्रथ भगवान् शंकर के वरदान से भीमसेन आदि अन्य योद्धाओं को रोकने में सफल हो गया और कोई भी योद्धा अभिमन्यु के साथ चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश नहीं कर पाया
Images Third Party |
अभिमन्यु ने अपने रथपर बैठकर अकेले ही सारे कौरवो के उपर संहार करते रहे, अपनी शक्ति से शत्रुओं को व्याकुल कर दिया| कौरव सेना के घोड़े, हाथी, और सैनिक एक एक कर मरने लगे | चारों ओर हाहाकार मच गया| कौरवो के सभी महारथी अभिमन्यु के हाथों बार बार परास्त होने लगे | उस समय वीर अभिमन्यु को रोकने का साहस किसी भी कौरवो योद्ध्या के पास नहीं था| अन्त में कर्ण ने एक साथ छ:महारथियों ने अभिमन्यु पर अन्याय अधर्म पूर्वक (अधर्म युद्ध ) आक्रमण किया| उन लोगों ने अभिमन्यु के रथ के घोड़ों और सारथि को भी मार दिया.
अभिमन्यु के रथ को छिन्न भिन्न कर दिया तथा धनुष भी काट दिया| अभिमन्यु निहत्था हो चुके थे फिर अभिमन्यु ने अपने रथ का पहिया उठाकर ही शत्रुओं को मारना शुरू कर दिया| उसी समय दु:शासन के पुत्र ने पीछे से अभिमन्यु के सिर पर गदा का प्रहार किया, जिससे महाभारत का यह अद्भुत योद्धा अल्प आयु में वीरगति को प्राप्त हो गया।
अभिमन्यु के रथ को छिन्न भिन्न कर दिया तथा धनुष भी काट दिया| अभिमन्यु निहत्था हो चुके थे फिर अभिमन्यु ने अपने रथ का पहिया उठाकर ही शत्रुओं को मारना शुरू कर दिया| उसी समय दु:शासन के पुत्र ने पीछे से अभिमन्यु के सिर पर गदा का प्रहार किया, जिससे महाभारत का यह अद्भुत योद्धा अल्प आयु में वीरगति को प्राप्त हो गया।
Tags:
महाभारत पात्र