दुर्योधन जन्म की कहानी
दुर्योधन हिंदू महाकाव्य महाभारत में एक प्रमुख चरित्र है, और वह कौरवों में सबसे बड़े थे। राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी के सौ पुत्रो में सबसे बड़े थे। परंतु दुर्योधन अपने चचेरे भाई और कुरु वंश के सबसे बड़े पुत्र युधिष्ठर से छोटा था। दुर्योधन सबसे बड़े बेटे होने के नाते वह कुरु साम्राज्य और उसकी राजधानी हस्तिनापुर के राजकुमार बने। दुर्योधन के अन्दर दो बड़े अवगुण थे, क्रोध और अहंकार, यही दोनों अवगुण उसके पतन का कारण बने। कर्ण दुर्योधन का सबसे करीबी मित्र था। कर्ण पुरे हस्तिनापुर में यदि किसी के ऊपर विश्वास करता था तो वह अपने मामा शकुनि और सबसे करीबी मित्र कर्ण।
दुर्योधन एक अत्यंत साहसी योद्धा था, इसके बावजूद महाभारत युद्ध का दोषी यदि किसी को माना जाता हैं तो वह दुर्योधन को ही माना जाता है। इसका कारण यह है कि दुर्योधन की जिद्द और महत्वाकांक्षा के कारण ही पांडवों को बार बार तिरस्कार किया गया, यंहा तक की उन लोगो को वन भी जाना पड़ा और कष्टपूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसका परिणाम यह हुआ कि कौरवों और पांडवों के मन में एक दूसरे के प्रति ऐसा जहर फैलता गया जिसे बाद में रोकना असंभव हो गया और अंत में यह एक महायुद्ध में तब्दील हो गया। इस महायुद्ध में लाखों करोडों वीर योध्या वीरगति को प्राप्त हो गए। यही कारण है कि दुर्योधन को महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा खलनायक कहा जाता है। दुर्योधन का लालच और अहंकार, ये दो ऐसे अवगुण थे जो महाभारत में उसके पतन का कारण बने।
दुर्योधन का विवाह किसके साथ हुआ ? दुर्योधन की पत्नी का क्या नाम था।
दुर्योधन का विवाह भानुमति के साथ हुआ था इन दोनों के दो पुत्र थे जिनका नाम लक्क्षमण कुमार और लक्क्षमणा था।
दुर्योधन को गदा शस्त्र की विद्या किसने दी ? दुर्योधन के गुरु कौन थे ?
दुर्योधन के दो गुरु थे , कुलगुरु दोर्णाचार्य जी ने दुर्योधन को प्रारंभिक शिक्षा दी और गदा चलने की कला बलराम के द्वारा शिक्षा प्राप्त किया था।
दुर्योधन वध कैसे हुआ?
कौरव सेना में बहुत बड़े-बड़े यौद्धा थे, लेकिन जब ये सारे योध्या महाभारत के युध्य में वीरगति को प्राप्त हो गए तो अंत में भीम ने दुर्योधन का वध कर दिया था।
दुर्योधन कितने भाई थे?
दुर्योधन 100 थे, इसीलिए इन्हे कौरव कहा जाता था लेकिन सच यह है कि दुर्योधन 100 नहीं बल्कि 101 भाई था। लेकिन इस भाई को दुर्योधन ने कभी अपना समझा ही नहीं क्योंकि वह एक दाशी पुत्र था।
द्रौपदी के पांच पुत्रो का वध कैसे हुआ।
किसने किया द्रौपदी के पांच पुत्रो का वध किया ?
दुर्योधन की कपटी चाल, कैसे करवाया द्रौपदी के पांच पुत्रो का वध?
जब कौरवो के बड़े बड़े योध्या वीरगति को प्राप्त हो गए तो उसके
बाद दुर्योधन ने अश्वथामा को अपना सेनापति नियुक्त करता हैं, और पांडवों
को मारने के लिए नए सेनापति को आदेश देता है। अश्वत्थामा, कृपाचार्य
और कृति वर्मा छल और कपट से पांडव को मारने की योजना बनाते हैं।
आधी रात को ये सारे योध्या पांडव शिविर में पहुंचते हैं पांडव को मारने के
लिए। पांडव शिविर में द्रौपदी के पांच पुत्र सो रहे थे। वे सभी सोते
हुए योद्धाओं को पांडव समझ कर अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृति वर्मा
उन्हें मार डालते हैं।
गांधारी क्युँ अपने पुत्र दुर्योधन को नग्न देखना चाहती
थी? |
गांधारी, किसी भी रूप में अपने प्रिय पुत्र दुर्योधन को मृत नहीं देखना
चाहती थी, जब कौरवों के बड़े बड़े योद्धा और गांधारी के 99 पुत्र
वीरगति को प्राप्त हो गए तब गांधारी के मन में पुत्र मोह जग उठा और
वह अपने पुत्र दुर्योधन की मृत्यु के भय से डर गईं और वह उसे किसी
भी प्रकार से उसके जीवन की रक्षा करना चाहती थी । ऐसे में गांधारी ने
अपने पुत्र दुर्योधन से कहा कि वे गंगा में स्नान कर नग्नावस्था में ही
उसके सामने उपस्थित हो जाए। अपनी माता की आज्ञा का पालन करने
के लिए दुर्योधन गंगा में स्नान करने के पश्चात नग्न अवस्था में अपनी
माता से मिलने चल पड़ा।
परन्तु मार्ग में ही दुर्योधन की मुलाकात श्रीकृष्ण से हो गयी । दुर्योधन को
पूर्ण नग्नावस्था में देखकर श्रीकृष्ण चौंक गए, उन्होंने दुर्योधन से कहा “
तुम्हें लज्जा नहीं आती, ऐसी हालत में तुम अपनी माता के सामने कैसे
जा सकते हो, अब तुम बड़े हो गए हो, माता गांधारी के समक्ष ऐसे
जाना अनुचित है”।
दुर्योधन को श्रीकृष्ण की बात सही लगी, उसने अपने कमर के निचले
हिस्से को केले के पत्तों से ढक लिया और फिर अपनी माता गांधारी के
समक्ष उपस्थित हुआ। गांधारी ने जैसे ही अपने नेत्र से पट्टी हटाई ,
उनकी दृष्टि दुर्योधन के नग्न शरीर पर पड़ी जिसकी वजह से उसका
शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
परंतु अफसोस, श्रीकृष्ण के बहकावे में आकर दुर्योधन ने अपनी जांघों
का जो हिस्सा केले के पत्ते से ढक रक्खा था, गांधारी की दृष्टि उस भाग
पर नहीं पड़ सकी और उसका पूरा शरीर कठोर नहीं हो सका।
दुर्योधन को श्रीकृष्ण की बात सही लगी, उसने अपने कमर के निचले
हिस्से को पत्तों से ढक लिया और फिर गांधारी के समक्ष उपस्थित हुआ।
जैसे ही गांधारी से अपने नेत्र खोले, उनकी दृष्टि दुर्योधन के नग्न शरीर
पर पड़ी जिसकी वजह से उसका शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
परिणामस्वरूप, युद्ध के दौरान भीम ने दुर्योधन की जंघा के भाग पर
वार करने से ही दुर्योधन की मृत्यु हुई।
गांधारी की दृष्टि में इतनी शक्ति कैसे आ गई?
क्या था गांधारी की शक्ति का राज? दृष्टिहीन राजा धृतराष्ट्र से विवाह
के उपरांत गांधारी ने स्वयं अपनी आंखों पर भी पट्टी बांधकर जीवन जीने
का निश्चय किया। अनेको वर्षों तक गांधारी ने दृष्टिहीन व्यक्ति की तरह
जीवन व्यतीत किया, जिसकी वजह से गांधारी की आंखों में एक ऐसी
शक्ति प्रवेश कर गई जो वाकई बहुत ही अद्भुत थी।
गांधारी का पतिधर्म बहुत ही मजबूत था, एक पति व्रता समर्पित स्त्री
होने के साथ-साथ वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। गांधारी के
कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे एक वरदान दिया था कि
वह अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर जिस किसी को भी देखेगी उसका
शरीर वज्र के समान हो जाएगा।
परंतु अफसोस, श्रीकृष्ण के बहकावे में आकर दुर्योधन ने अपनी जांघों
का हिस्सा ढक लिया था जिसकी वजह से गांधारी की दृष्टि उस भाग पर
नहीं पड़ सकी और उसका पूरा शरीर कठोर नहीं हो सका। जिसकी
वजह से उसके शरीर का वह भाग कमजोर रह
गया और परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हुई।